दायरा

एक दायरा मेरा अपना...

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 08 Feb, 2021 | 1 min read
#poem11 #1000poems
तुम ही बताओ मुझे 
मेरा दायरा क्या??
खींच देते हो लकीर हर जगह 
ये माजरा क्या है??
मैं पहले... 
आगे मैं हर जगह...
फिर भी समझ में 
आता नहीं मुझे कुछ,
ये रास्ता क्या है??
ज़मीन मेरे हिस्से की...
फ़लक भी मेरा है नहीं...
एक भरम तुम्हारा 
जो कभी टूटता नहीं... 
हर शय में तुम्हारी, मैं...
फिर भी ना जान पाओ तुम जो,
ये सिलसिला क्या है???
वज़ीफ़ा नहीं...
कोई इज़ाफ़ा नहीं...
नाम मेरा हो लिखा,
ऐसा कोई लिफ़ाफ़ा नहीं...
ना तय जो हो सका
वो फासला क्या है?? 
रस्म, क़ायदा नहीं,
कहने का कोई फ़ायदा नहीं...
सिर्फ एक वायदा नहीं...
तोड़ दे जो मुझको 
वो दम किसी में है नहीं...
जो कोई बूझता नहीं...
मेरा वो हौसला क्या है???
वजूद मेरा लकीर सा,
लफ्ज़ बोल में नहीं...
जो यूँही दम तोड़ दे,
ये वो तिश्नगी नहीं,
ज़िन्दगी चलती रहे,
जीने का वो फ़ैसला मेरा, 
हर चुनौती के लिए मेरी “हाँ” है।।




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Shubhangani Sharma

shubhanganisharma

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Namrata Pandey · 3 years ago last edited 3 years ago

    बहुत बढ़िया👌👌👌

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