सुन दोस्त!!!

ज़िन्दगी की दौड़ में, दोस्त हम जुदा तो हो गए.. अपने अपने हिस्से के, हम अफ़साने एक दूजे को दे गए।।

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 27 Nov, 2020 | 0 mins read
Missing friends

सुन दोस्त!! साथ तेरे बैठे हुए,

एक लंबा अरसा बीत गया,

कुछ छूटा तो नहीं शायद,

पर काफी कुछ रीत गया ।।


तेरे साथ की मौज,

अब ढूंढ़े भी कहीं ना मिलती है,

अब तो जाड़े में भी कहीं,

गुलाबी धूप नहीं खिलती है..

हर ऋतु को अपने संग लेकर,

मेरा बालपन का मनमीत गया,

मेरे दोस्त तुझ बिन,

बहुत कुछ रीत गया।।


हंसी भी अब तो देख,

लग़ाम लगाकर आती है,

तुझ बिन तो अब,

ठहाकों का भी संगीत गया,

वो समय बड़ा सलोना था,

जो तुझ संग हँसते हँसते बीत गया,

मेरे दोस्त!! तुझ बिन,

मेरा मन भी रीत गया।।


चाय समोसे की उल्फ़त में,

बचपन सारा बीत गया,

छोटी छोटी खुशियों का अब,

जैसे दामन छूट गया...

सुन ना दोस्त!! अब तो,

कई सदियों का सफर बीत गया..

आज चल ना फिर,

पहले सी महफ़िल सजाते हैं,

हम फिर एक बार,

अपने कल को ले आतें हैं...

पर देख ना ज़रा तू,

अब तो बहाने बनाना भी सीख गया,

जानता हूं पर तुझमें भी,

काफ़ी कुछ है टूट गया,

तेरा मन भी मेरी तरह,

काफी कुछ है रीत गया..

ख़ैर अब यादों में ही हँस लेंगे,

अच्छा था, जो गुज़रा था,

वो लुभावना अतीत गया।।


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Shubhangani Sharma

shubhanganisharma

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