ये जो मुद्दा है हमारे बीच एक दूजे को भूलने का, ये ना होता... मैंने तुझपर और तुमनें मुझपर, जो थोड़ा एतबार कर लिया होता।। ये सिलसिला ही कोसने का, ना शुरू हुआ होता, जो हमनें थोड़ा समझदारी से काम लिया होता।। तवज्जो देते एक दूजे को, ना अहम को बीच में आने दिया होता, काश हमनें रिश्तों का एहतराम कर लिया होता।। ना टूटता दिल ये, तेरा मेरा इस कदर, जो हमनें खुदको एक दूजे के नाम कर दिया होता।। ना ख़्वाईश रखते कि कोई चाहे हमें, चाहत से हमनें, अपना ही जाम भर लिया होता ।। संभाल कर रखते एहसासों को दोनों, जो हमनें ऐतबार सा नेक काम कर लिया होता।।
एतबार
ऐतबार रिश्तों में ज़रूरी है साँसों की तरह, जो नहीं ये तो रिश्तें हैं लिबासों की तरह।।
Originally published in hi
Shubhangani Sharma
17 Nov, 2020 | 0 mins read
Trust is the lifeline of any relation.
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Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
वाह
नम्बर वन पर, बधाई
Ohh...Aaj dekha aapka comment...Thank you so much...
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