उसका ज़िक्र...

शाम-ए-ग़ज़ल

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 26 Jun, 2022 | 1 min read

बेसाख़्ता आ जाता है नाम उसका,

जब कभी इश्क़ का ज़िक्र निकले।।


अमूमन ऐसा तो कम ही होता है,

जब दिन उसकी फ़िक्र में ना निकले।।


बहुत गहराई में सेंध लगा रखी है उसने,

देखते हैं वो कब इस दिल से निकले।।


एक अरसा हुआ उससे मुलाकात हुए,

निहायत लंबे रहे ये दिन जो हिज्र में निकलेV।।


शुभांगनी शर्मा

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Shubhangani Sharma

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