दिल फ़क़ीर

एक विचलित मन की व्यथा

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 30 Apr, 2021 | 0 mins read
Heart

क्या ख़्वाईश रही होगी उस फ़क़ीर की...

जिसने सब छोड़ जंगलों का रुख़ किया होगा।।


क्या उसने बेहिसाब दर्द सहा होगा,

या किसी का दुःख सहा ना गया होगा।।


सड़क किनारे बैठा वो पागल...

क्या हमेशा यूँही हँसता रहा होगा।।


या एक अरसे के बाद..

उसके आँसुओं का दरिया सूख गया होगा।।


कोई ख़ामोश भी तब हुआ होगा,

जब जज़्बातों का सैलाब गुज़र गया होगा।।


आज दिल... कुछ पागल फ़क़ीर सा हो जाना चाहता है...

यक़ीनन दिल में बहुत कुछ टूट गया होगा।।


शुभांगनी शर्मा





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Shubhangani Sharma

shubhanganisharma

Comments

Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓

  • Kumar Sandeep · 3 years ago last edited 3 years ago

    उम्दा

  • Shubhangani Sharma · 3 years ago last edited 3 years ago

    शुक्रिया अनुज

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