सीमित सा सफ़र उस "मैं" का रहा,
जो जुड़कर किसी से "हम" हो गया।।
अब सोच में बस यही रहा,
किसने क्या खोया क्या पा गया।।
"मैं" ने भी बड़ी सहजता से कहा,
जुड़ा जो तुमसे "मैं" सब पा गया।।
हमदम का दम "मैं" का हुआ,
जब प्रेम के "हम" ने जीवन को छुआ।।
हर कदम "मैं" का आसान हुआ,
जब साथ उसका "हम" ने दिया।।
अब बोलो तुम्हीं तन्हां कौन रहा, जब...
"मैं - हम" का और "हम" "मैं" का हुआ।।
शुभांगनी शर्मा
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Wahh
उम्दा👌👌
धन्यवाद सोनू जी🙏🙏
धन्यवाद अनुज संदीप🙏🙏
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