आज तो नींद ना आयेगी हमें,
एक नन्हां सा सपना पूरा जो हुआ है।।
आंखों की किरकिरी आनंद में बह गई,
सपनों का हकीकत से समझौता हुआ है।।
बदल गयी रफ्तार ज़िन्दगी की थोड़ी,
क्षणों के काँटो में उम्मीद का डेरा हुआ है।।
जो झिझकती थी कभी मेरी आवाज़,
उसके संगीत में नया सवेरा हुआ है।।
मेरी ठंडी हथेलियों में एक सरगोशी आ गयी,
उनमें मेरे सपनों का फिर से बसेरा हुआ है।।
कदम जो मेरे जम से गये थे,
फिर से तीन ताल सा उल्लास,
उनमें पसरा हुआ है।।
नींद की अब ज़रूरत नहीं ख़्वाबों के लिए,
जीवन में नया उजियारा हुआ है।।
मेरा एक नन्हां सा सपना खिलखिला रहा है,
क्यों ना हो, आज अरसे बाद वो पूरा हुआ है।।
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