वो रंग मेरा भी

मेरे रंग अनेक....

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Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 29 Mar, 2021 | 0 mins read
My colours
एक रंग मेरा भी...
जो चढ़ जाए...मेरे मन पर...
और हो बहुत ही गहरा भी,
हाँ वो एक रंग, मेरा भी।।

हल्का फुल्का परिंदों सा,
हर दिल की मुँडेर पर...
जाकर ठहरा भी।
और छोड़े एक छाप,
ऐसा हो रंग, मेरा भी।।

इंद्रधनुष सा सतरंगी सा,
ना कभी किसी से हारा ही...
जो ठान ले वो कर जाए,
पी जाए समंदर खारा भी।
ऐसा हो ज़िद्दी सा रंग, मेरा भी।।

सहमत और असहमत भी,
ना चाहे किसी की रहमत जी।
परचम अपना लहरा जाए,
वो बाग़ी सा रंग हो, मेरा भी।।

सहज इतना कि पानी हो जैसा,
घुल जाए तुममें तुमसा जी।
समा जाए दरारों में भी,
ऐसा सरल सा रंग हो, मेरा भी।।

आसमान सा हो या पर्वत हो,
ना ग़ुरूर का हो उसमें बसेरा जी।
सीधा सादा निश्चल सा हो,
वो सवेरे सा रंग, मेरा भी।।


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