*....बस इंसाँ होना!!*
ना परेशां ना हैरां होना,
पतझड़ है हर कदम ज़िन्दगी।
फ़िर भी इस डर को छोड़,
तू एक गुलिस्तां होना।।
तू चलेगा बढ़ेगा तो...
गलतियाँ भी करेगा तू,
तू सीखना हर बार बेहिसाब,
पर ना पशेमाँ होना।।
तू जब तलक है, तब तलक..
होंगीं सारी मुश्किलें,
जनाब!! ये ही तो है ज़िन्दगी ,
यही तो है इंसाँ होना।।
क्यों ज़रूरी है तेरा,
चमकना भीड़ से अलग..
समा ले ख़ुद में एक अलग दुनिया,
और तू कहकशाँ होना।।
ना पैग़म्बर, पीर, मोहम्मद...
होना है ज़रूरी दुनिया में,
है ज़रूरी बस जज़्बातों से...
सराबोर इंसाँ होना।।
शुभांगनी शर्मा
I D - @shubhanganisharma
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