Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 07 Oct, 2020
किस्सा
मैं रफ्ता रफ्ता आँखे चुरा के जा रिया था, मैं रफ्ता रफ्ता आँखे चुरा के जा रिया था.... फिर क्या हुआ जनाब... फिर क्या...जनाब मैं तो बस जाने का किस्सा सुना रिया था।।

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by shubhanganisharma

07 Oct, 2020

हँसो और हँसाओ

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