Shubhangani Sharma
30 Sep, 2020
चंद लम्हों का खेल
चंद लम्हों के लिए,
बहुत इंतेज़ाम किया हमनें...
कहीं मोहब्बत कहीं कत्लेआम...किया हमनें...
फिर भी सुकून, मयस्सर नहीं, एक लम्हें के लिए...
क्यूँ ज़िन्दगी का.. खुद को, गुलाम किया हमनें।।
Paperwiff
by shubhanganisharma
30 Sep, 2020
ग़ुलाम
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