Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 20 Nov, 2020
सफर से प्यार
मुझे डर था सदा दौड़ से..क्या लेना मुझे इस दुनिया की होड़ से। यही सोच जीवन के कई साल गुज़ार दिए, फिर भी एक मंज़िल दिखी हमें इस छोर से। दौड़ रहे थे सब उसी की ओर, एक लालसा हमें भी हुई.. गोया, ना जीतेंगे हम!! पर दौड़ने का मज़ा तो ले लें एक बार। दिल ने कहा, "हाँ, बटोर ले हौसला एक बार, तुझे भी हो जाएगा प्यार, मंज़िल से नहीं सफर से...क्योंकि तू सफर का था, मंज़िल का नहीं।।"

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by shubhanganisharma

20 Nov, 2020

100 word story

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