Shubhangani Sharma
04 Mar, 2022
मिथ्या जीत
मैं... मानव....
उठता हूँ...
फिर गिर जाता हूँ...
पर पसरी हुई बर्बरता से,
कहाँ बाज़ आता हूँ।।
तान लेता हूँ हथियार, हर बार..
मानवता को ताक पर धर..
हारता स्वयं हूँ..
और अपनी मिथ्या जीत पर हर्षाता हूँ।।
Paperwiff
by shubhanganisharma
04 Mar, 2022
मानवता पर भारी युद्ध की तैयारी
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