Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 28 Nov, 2020
म्हारी नानीमां
म्हारी नानीमां ऊना जुग की हे जद छोरियों ने झुकना अने घर का काम करवा को और सीखने को केहे। पे वे अपणा जुग के विपरीत सोंच थीं। उणका केहणो था, " कईं धरि हे ब्याव में, घणों पढ़ो और घणों कमाओ। उज सई खुसी दे हे।" कौन केहे कि दो पीढ़ी की सोंच नहीं मिल सकती? मिलती है, जहां अनुभव जुग से परे होते हैं और जहां भविस को देखने की दूरदर्शिता... मेरी आधुनिक नानी की सोंच को नमन।।

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by shubhanganisharma

28 Nov, 2020

मालवी भाषा में एक प्रयास

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