Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 19 Oct, 2020
हो मलंग
आंखे हो बंद, दिल हो मलंग... हो सोच में उमंग, आत्मा हो संलग्न... वहीं मिलेंगें कल्पनाओं को पंख।।

Paperwiff

by shubhanganisharma

19 Oct, 2020

कल्पनाओं को पंख

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