Shubhangani Sharma
30 Nov, 2020
बचपन
इस कोहरे ने बचपन फिर याद दिला दिया..
बस्ता पीठ पर, मुँह से धुआं उड़ाते हुए बस इसी आस में निकल पड़ते थे...
बस की खिड़कियों में जमी ओस पर अपना नाम लिखेंगे, बस हम ही सरताज दिखेंगे... स्कूल के प्रांगण में जैसे ही कदम रखेंगे, झट से पौधों के पास जाकर पत्तियों से ओस को झटकेंगे।
वो सुकून, वो अल्हड़ पन मेरा ओस सा बचपन।।
Paperwiff
by shubhanganisharma
30 Nov, 2020
Fog and dew
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