Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 14 Jul, 2022
ख़त
ख़तों का सिलसिला जो चला था दरमियाँ अपने... वो कुछ साल मेरे रंगीन रहे, ख़तों से निकलकर जो तुम सामने आए, मानती हूँ तुम निखर कर आये बेहतर.. पर फ़िर भी... आज तक ख़त तुम्हारे बेहतरीन रहे।।

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by shubhanganisharma

14 Jul, 2022

ख़त

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