Shubhangani Sharma
11 Mar, 2021
मुक्त हुई.....
शब्द मुक्त हुए तो कविता बनी,
स्त्री मुक्त हुई तो सविता बनी।।
भावनाओं की मुक्ति से सरिता बनी,
प्रेम की निश्चल प्रणीता बनी।।
सोने सी तपकर पुनिता हुई,
हर दौर से गुज़र कर पूर्ण वनिता बनी।।
शुभांगनी शर्मा
Paperwiff
by shubhanganisharma
11 Mar, 2021
स्त्री
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