Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 17 Feb, 2021
प्रेम
प्रेम, एक फिसलन भरी राह, है भी नहीं, बचने की कोई चाह।। सुकून की ठंडी बयार ना सही, हर बात पर ठंडी आह।। नज़रों का झुकना उसे देख कर, उसकी हर अदा पर निकले वाह।। डूबते जाएं और गहरे तेरे प्रेम में, ना हो कहीं भावनाओं थाह।।

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by shubhanganisharma

17 Feb, 2021

प्रेम

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