Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 29 Sep, 2020
चंद लम्हों का खेल
था चंद लम्हों का सुलझा हुआ सा... खेल ये ज़िन्दगी का... हमनें बेवजह उलझा दिया। इंसाँ परस्ती ने हमें पस्त कर दिया।।

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by shubhanganisharma

29 Sep, 2020

सुलझी हुई ज़िन्दगी

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