Shubhangani Sharma
Shubhangani Sharma 16 Nov, 2020
तेरे लिए
तेरे लिए जीने का जी चाहता है, हर हद पार करने को जी चाहता है, तेरी सर्द राहों को, एक मुट्ठी धूप से भरने को जी चाहता है।।

Paperwiff

by shubhanganisharma

16 Nov, 2020

एक मुट्ठी धूप

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