Shubhangani Sharma
04 Dec, 2020
समझदार
जो आज मैं इठलाया करती हूँ,
अपने समझदार होने का दम्भ भरती हूँ...
एक समय की बात है,
मैं बड़ी मूर्ख हुआ करती थी...
बात बात पर हँसती थी,
कुछ ज़्यादा ही बोला करती थी...
दिमाग तो था ही नहीं...
बस दिल से सोचा करती थी।।
उफ्फ्फ!!! ये तो मैं अब भी किया करती हूँ,
मतलब मैं अब भी मूर्ख ही हूँ।।
नाहक ही समझदार बनी फिरती हूँ।।
Paperwiff
by shubhanganisharma
04 Dec, 2020
Fool me😁
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