पुरानी यादों का पिटारा

जैसे बादलो को बंजर जमीन पर बरस के सुख मिलता हैं , वैसे ही अनकहे अल्फाज़ो को हकदार सुनता है तो सुकून मिलता है !

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Shubham Patidar
Shubham Patidar 07 Jan, 2020 | 1 min read

💚 पुरानी यादों का पिटारा 💼


! !  मैंने देखा हैं ! ! 


उन कोटा की गलियों मे

मुर्दों को भी चलते , मैंने देखा है।


हजार सपने लेकर, उन्हे पुरा करने के लिये 

तपती धूप मे उन्हे दोड़ते , मैंने देखा है ।


अच्छी पड़ाइ पाने के लिये कभी कोटा तो कभी इन्दौर, 

सैकड़ों कोचिंगो मे भटकते , मैंने देखा है।


जो परिन्दे उड़ के आये थे दूर अपने घरों से 

उन्हे खूद पिंजरे की तरफ़ भागते , मैंने देखा है।


Allen , BMC, से AAYAM तक, रास्तों मे 

हरी , लाल तो कभी नीली t-shirt मे Robot's को 

भरी धूप मे पिघलते , मैंने देखा है।


घरवालों के सपने पूरे करने के लियें , खूद के 

सपनों को अपने ही अन्दर दफ़न होते , मैंने देखा है।


अपनी असली प्रतिभा पर चादर डालें , कठपुतली 

का खेल अच्छे से खेलते , मैंने देखा है।


जीवन मे लाख परेशानीया , पर चेहरे

पे उस झूठी हसी को लाकर मुस्कुराना , मैंने देखा है।


Physics के सवालों मे उलझकर उस बेबसी को

आखों के कोने से पानी बनकर निकलते , मैंने देखा है।


किताबों के मुर्दा घरो (पुस्तकालय ) मे

H C Verma को सिना तान टहलते , मैंने देखा है।


School वाली प्यार कि किताब को भूलकर 

NCERT से दिल लगाते , मैंने देखा है।


सख्ती से पड़ाई करने आये थे पर लड़की के

Doubt पूछने पर झट से पिघलते , मैंने देखा है।


कई सपनों को पुरा होते , तो कई  ख्वाबों को 

सूली पर लटकते , मैंने देखा है।


पिता को हमारे भविष्य कि चिंता रहतीं पर 

माँ को हमेशा हि प्यार करते , मैंने देखा है।


बड़े घरों मे रहने वालों को आज आसमान के 

नीचे 10/10 के कमरों मे समेटते , मैंने देखा है।


हजार दिक्कतें रहने - खाने मे पर मम्मी को

फोन पे "सब बड़ीया हे" , कहते मेने देखा है।


बहुतों को अवसाद मे Cigarette कि डिब्बीयो 

के साथ जलते,  तो कईयों को शराब मे डूबते , मैंने देखा है।


डाक्टर बनने के सपने को खूद 

अपने पैरों तले कुचलते , मैंने देखा है! 


अपने सपनों को खाक होते देख 

कईयों को घर वापस जाते , मैंने देखा है।


जिन्दगी ये हताश कईयो को

पंखे से लटकते , मैंने देखा है।


AIIMS का सपना देखकर,  

fishery पर थमते , मैंने देखा है।


हजार नाकामिया मिली हो,  पर लाख अनुभव 

के साथ ज़िन्दगी को मज़े से जीते , मैंने देखा है।


आज उसी सपनों के शहर Indore मे

फिर एक बाप को अपने अरमानों के साथ 

अपने बच्चे को बोरिया - बिस्तर के साथ

छोड़ते , मैंने देखा है।


आज मेने ये मेरी नाकामी पर लिखा है।

पर जरूरी नहीं कि Doctor  बनेंगे तभी 

हम जिन्दा रह पायेंगे , कईयो को Doctor 

बनने के बाद भी घूट-घूट के मरते , मैंने देखा है।

- शुभम् पाटीदार


|| शुभम पाटीदार ||

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Shubham Patidar

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