हे वीर तुम्हे शत शत वंदन
हे वीर तुम्हारा शत शत अभिनंदन
मातृभूमि पर जो तुमने शीश नवाया है
पराक्रम जो तुमने दुश्मन को दिखलाया है
धन्य तुम्हारा यह जीवन जो काम देश के आया है
ये गौरवमयी स्वर्णिम बलिदान तुम्हारा है
बर्फ़ीली वादियों का चक्रव्यूह
तुम्हे कहाँ रोक पाया है
तपति रेतीली भूमि में भी
पैर ना तुम्हारे डगमगाए है
वही खून है वही गौरव है
वही महाराणा प्रताप की बज्र सी छाती है
तुम धोखे से वार करके बहादुरी अपनी बतलाते हो
पर नापाक इरादों को तुम्हारे ना पूरा हम होने देंगे
फिर कुछ लाल आज भारती पर कर शीश कुर्बान गए
अपने खून के कतरो से माँ की गोदी कर लहूलुहान गए
यह दर्शय देख अम्बर भी आज फुट फुट कर रोया है
इस मैले आँचल को उसने अपने अश्कों से धोया है
कश्मीर की इस घाटी में खेल जो तुम ये रचाते हो
लहू जो तुम ये बहाते हो अब ये शोला बनकर दहकेगा
आतंक का नामो निशान मिटाकर ही अब ये दम लेगा
तभी ये गुल हमारा फूलों से महकेगा और शांति से चहकेगा
कोटि कोटि नमन उनकी माँ को
जिनके पूतों ने बलिदान दिया
माँ के दूध का कर्ज अपनी कुर्बानी से अदा किया
नतमस्तक उनकी शहादत पर जिन्होंने ये बलिदान दिया
हे भारत नंदन तुझे शत शत वंदन
कोटि कोटि तेरा अभिनंदन
हे वीर तुम्हे शत शत वंदन
हे वीर तुम्हे शत शत वंदन
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