माना पंछी आज आजाद तो है
वो देखकर हमें भी सोचता होगा
की कितने मतलबी है हम
अपने मतलब की खातिर
जहर हमने हवा में घोला है
इन दिनों हवा कुछ सुहानी है
लगता इसको किसी ने छानी है
Ozone का छेद भी भरने लगा है
बात ये खुद इंसान ने मानी है
चुम्ब लूं इस गगन को मैं इस दौर में
क्योंकि lockdown हटते ही
वही जहरीली हवा हो जानी है
फितरत तो इंसान की वही पुरानी है।
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