आदमी कितना मजबूर है
कुदरत का ये जो दस्तूर है
कोरोना के डर से चूर चूर है
कुछ को मजबूरी का फायदा
उठाने का गुरुर है।
इंसानियत को कर दिया चूर चूर है
क्यों तू खुद में इतना मगरूर है
क्यों आदमी इतना मजबूर है।।
आदमी कितना मजबूर है
आदमी कितना मजबूर है
कुदरत का ये जो दस्तूर है
कोरोना के डर से चूर चूर है
कुछ को मजबूरी का फायदा
उठाने का गुरुर है।
इंसानियत को कर दिया चूर चूर है
क्यों तू खुद में इतना मगरूर है
क्यों आदमी इतना मजबूर है।।
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.