कोरोना की वजह से जब लॉक्डाउन शुरू हुआ तो एक बार को लगा जैसे जीवन थम सा गया। ना ऑफ़िस, ना बाहर घूमने जाना.. बस घर और घर के काम.. जाने क्यों दिल सोच के ही डर सा गया था।
शुरू के 2-3 दिन में हालत पस्त हो गई - पति बच्चे सब घर पर । हर एक घंटे में पतिदेव का चाय माँगना और हर आधे घंटे में बच्चों की “मम्मी कुछ खाने को दे दो” की रट। मैं चिड़चिड़ी की होने लगी थी की दिमाग़ की बत्ती जली.. बच्चों को पेंटिंग कलर्स पकड़ाए और कहा आज कॉम्पटिशन है- पिंकी वर्सेस बिट्टू, जो जीता आज उसकी पसंद का खाना और लॉक्डाउनके बाद उसकी पसंद की जगह ले जाएँगे घुमाने।
बच्चों में भी होड़ लग गई जीतने की। 2-3 घंटे के लिए वयस्त हो गए। अब बारी थी पतिदेव की.. बुलाया उनको किचन में। प्यार से बाँहें गले में डाल के जो हमने पूछा, “ज़रा मदद करेंगे हमारी आज थोड़ी.. सभी आप काट दीजिए जब तक हम आटा लगा रहे हैं” तो उनका चेहरा सुर्ख़ हो उठा। कुछ शर्मा के वो बोले, “ आज तो शादी के शुरुआती दिन याद आ गए। कैसे एक साथ समय बिताने के लिए हम साथ साथ सब काम निपटाते थे। बच्चे होने के बाद तो जैसे ये सब बीते जमाने की बात हो गई थी।”
सच ही तो कह रहे थे। कभी उनको नौकरी कभी मुझे घर बच्चों से समय नही मिला पर मन ही मन अब ठान लिया है की जोड़ेंगे दिलों के तार इन 21 दिनो में।
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