पृथ्वी हमारी नही है, हम पृथ्वी के है,
सुगंध की वजह से फूल नही, फूलों की वजह से सुगंध है,
पृथ्वी पर ऐसा कोई इंसान नही जिसे समस्या न हो,
और ऐसी कोई समस्या नहीं जिसका समाधान न हो,
मंजिल चाहे कितनी भी ऊंची क्यो न हो,
उसके रास्ते हमेशा पैरों के नीचे ही आते है,
फिर भी न जाने क्यूँ ये कदम इतना डगमगाते है,
इसीलिए तो हमारी ये पृथ्वी नही, हम इस पृथ्वी के कहलाते है।
- शिवानी सोनी
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by shivanisoni