क्या बयां करूँ-क्या ना करूँ,
कितनी यादें संजो कर रखी हैं।
कैसे कहूँ कौन सी ज्यादा अनमोल है,
सब ही तो दिल से जी रखी हैं।।
फोटो खिंचवाने के लिए गोद में चढ़ जाना।
गुब्बारा लेने के लिए जिद्द पर अड़ जाना।।
एक पीस मंगवाने पर पूरा डिब्बा ले आना।
मम्मी से छिपकर आइसक्रीम दिलवाना।।
रविवार के दिन हमें फिल्म दिखाने ले जाना।
लौटते वक्त सबको होटल में खाना खिलवाना।।
गर्मियों में थैला भरकर आम-तरबूज लाना।
सर्दियाँ आने पर काजू-किशमिश दिलवाना।।
खाना कम ना पड़े इसलिए"भूख नहीं कह मना कर जाना"।
छिपकर अपने हिस्से का आम रस भी हमको पिला जाना।।
हर रोज स्कूल-कॉलेज छोड़ कर आना।
बरसात होने पर वापिस लेने भी आना।।
बीमार होने पर उनके,मेरा उनको डांट लगाना।
खाया होगा आपने जरूर बाहर का खाना।।
उनका मुस्कुरा कर कहना"बस कर मेरी नानी"
याद दिला दी तूने मुझे मेरे बचपन की कहानी।
माँ डांटती थी ऐसे जब मैं करता था शैतानी
अब तू बन बैठी है माँ मेरी,मेरी परियों सी रानी।।
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