मौन!

जब शब्द घाव पहुँचाने लगें तब मौन से बेहतर कुछ नहीं।

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Shilpi Goel
Shilpi Goel 08 Aug, 2021 | 1 min read
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वो जानती है शब्दों की परिभाषा,

इसीलिए पसंद है उसे मौन की भाषा।


संवाद नहीं करती वो

अक्सर मौन ही रहती है,

शब्दों से खेलने का शौक नहीं

आँखों से सबकुछ कहती है।


तीक्ष्ण घाव पहुँचाते शब्द

मन को भेद जाते हैं,

क्या काम है ऐसे शब्दों का

रिश्तों में कड़वाहट जो लाते हैं।


सुनाता हूँ जब अपनी कहानी

चुपचाप वो सुनती जाती है,

मुस्कान तैरती लबों पर उसके

अपने मौन से सब समझाती है।


मेरे घर के आँगन से

उठी कभी हूँकार नहीं,

सब कहते हैं मोहल्ले में

इतना शांत कोई परिवार नहीं।


गर कोई तकलीफ हो उसे

ना शब्दों का सहारा लेती

ना आँखों से अश्क ही वो बहाती है,

समझ नहीं पाता मैं कैसे

मौन रहकर ही वो

अपने हक के लिए लड़ जाती है।


मौन की ताकत के आगे

यहाँ शब्द भी हार मान जाता है,

देखो बोलने वालों को

सुनने वाला मौन रहकर ही हराता है।


शब्द जाने अनजाने तकलीफ पहुँचाता है,

मौन हर इंसान को संयम सिखलाता है।

वो जानती है शब्दों की परिभाषा,

इसीलिए पसंद है उसे मौन की भाषा।

- शिल्पी गोयल (स्वरचित)




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