बच्चों ने दिया यह संदेशा
बचपन जिंदा रखो हमेशा
मन में छोटी-छोटी ख्वाहिशें
फिर से तुम उठने दो
बचपन में लौट जाने की
इस मन को हठ करने दो
बड़े होने को तो पूरी उम्र पड़ी है
सबसे सुखद बचपन की घड़ी है
मन की बातों को पूरा करने की
एक कोशिश तो करो
उम्र भर जिससे मन में
कोई मलाल ना धरो
जिस ओर चाहो उस ओर घूम जाती
तरह-तरह के नाच नचाती
जीवन की यह डोर कुछ यूँ चल पड़ी है
कितने झमेले, कितने तूफ़ान
जाने कब समझेगा इंसान
इसमें डूबने को तो पूरी उम्र पड़ी है
आओ जी लें बचपन दोबारा
फिर ना मिलेगा यह जीवन दोबारा
✍शिल्पी गोयल(स्वरचित एवं मौलिक)
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