कभी भगवान को देखा है,
नहीं ना,
फिर क्यों पूजते हो उसे
क्यों माँगते हो वरदान उससे
क्यों चाहते हो
जीवन में बना रहे सिर पर हाथ उसका
कभी ना छूटे इस जहाँ में आशीर्वाद उसका
क्योंकि तुम मानते हो कि
भगवान इस सृष्टि के रचयिता हैं,
कहाँ से मिला यह ज्ञान तुमको
कैसी हुई यह पहचान तुमको
सच बतलाना
क्या नहीं पढ़े तुमने वेद-पुराण
क्या नहीं करी कितने ही ग्रथों की पहचान
किसने दिया इन किताबों का उजियारा तुमको
कहाँ से मिली
अच्छे-बुरे की पहचान करने की बुद्धि तुमको
जो ना रची जाती यह पौराणिक रचनाएँ
क्या कह पाते, धर्म का ठेकदार स्वयं को
तो क्यों नहीं उन रचनाकारों को शुक्रिया अदा करते
जिन्होंने तुमसे तुम्हारी पहचान करवाई
उन्होंने तो ज्ञान का भंडार दिया था
तुमने ही उसमें ऊँच-नीच की दीवार बनाई
था काला अक्षर भैंस बराबर
उसी काले अक्षर से शिक्षा की ज्योत जगाई
पूछते हो लेखक कौन है, लेखक क्या है?
पूछो खुद से क्या वो तुमसे जुदा है?
जो तुम सोचते हो अपने मन के भीतर कहीं
बस उसे ही
अपनी कलम के शस्त्र से वो उकेर देता है कहीं
कहने को शब्द होते हैं उसके अधिकार में
पर मत भूलो तुम्हारी ही भावनाएँ छिपी हैं हर प्रहार में
लेखक वो नहीं जो सिर्फ लिखता जाता है
लेखक वो है जो अपने लेखों के जरिए
इस समाज में फैला अंधियारा मिटाता है
लिखने के लिए पढ़ना है जरूरी
तभी तो कम होगी अज्ञानता से दूरी
यह क्रम जब तक यूँ ही चलता रहेगा
विश्वास स्वयं में बढ़ता रहेगा
कि है कोई तो इस जहां में
जो चुप रहने पर मेरे, मेरे भावों को आवाज देता है
चल हो जा निडर, तू क्यों और किससे डरता है
आ कर दे अमानवीय विचारों का त्याग
लेखक के लेखों में दम होता है इतना
कि मिला दे खाक में यह सब धुंधले विचार
हाँ लेखक नहीं है कोई भगवान
वो भी है हम-तुम जैसे ही इंसान
इसीलिए हमसे सीधे जुड़ पाता है
हमारे दिल पर दस्तक दे जाता है
आहत मन को शांत करता कभी
कभी प्रेम के फूल उसमें खिला जाता है
इसीलिए तो लेखक सिर्फ लेखक नहीं
समाज का सच दिखलाने वाला आईना भी कहलाता है
✍शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
बहुत सुन्दर
@deepali sanotia शुक्रिया
बहुत खूब
@Surabhi sharma जी शुक्रिया।
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