रंग-तरंग(कविता)

रंगों की अपनी एक भाषा अपना एक मान है। जो भरता जीवन में नई उम्मीद नया ज्ञान है।।

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Shilpi Goel
Shilpi Goel 18 Mar, 2021 | 1 min read
hindi poetry

रंगों की अपनी एक भाषा अपना एक मान है।

जो भरता जीवन में नई उम्मीद नया ज्ञान है।।

जीवन में रंग बिखराने रंग-बिरंगी होली आती।

नई तरंग-नई उमंग अपने संग भरपूर लाती।।

सपनों सा सुंदर लगता यह सारा संसार।

बैर वैमनस्य भूल अपनाते सब मित्राचार।।

रंगों और खुशबू की सुंदरता का संगम।

भर देता जीवन में एक नई तरन्नुम।।

पिचकारी की फुहारों के बीच।

बचपन को लेते हम भी सींच।।

भरकर पानी के गुब्बारे।

खेलते नन्हें प्यारे-प्यारे।।

हर रंग कुछ अलग कह जाता।

एक आशा की ज्योत जलाता।।

लाल रंग प्रेम का प्रतीक।

भर देता जीवन में संगीत।।

पीले रंग में होता ऊर्जा का वास।

करता हमारा बौद्धिक विकास।।

नारंगी रंग मिटाकर अंधेरा।

लाता जीवन में नया सवेरा।।

हरे रंग में बसे मोह के धागे।

जिससे जागे हम सबके सौभाग्य।।

भूरा रंग दृढ़ता की पहचान।

कराता विभिन्न परिस्थितयों का ज्ञान।।

काले रंग का रूप निराला।

सबकुछ समावेश करने वाला।।

गुलाबी रंग की रंगत निराली।

सबको सुंदरता प्रदान करने वाली।।

ज़ामुनी रंग उत्तेजना जगाता।

प्रफुल्लित कर मन को हर्षाता।।

नीला रंग है बड़ा अनंतकारी,

इसकी महिमा जग से न्यारी।

महादेव ने पीकर विष का प्याला,

स्वयं को इसी रंग में रंग डाला।।

श्वेत रंग स्वयं में परिपूर्ण,

सिखाता शान्ति और त्याग के सद्गुण।

माँ शारदे ने भी यही रंग धारा,

समझाया जीवन है एक बहती धारा।।

रंग होते स्वयं में अद्वितीय सारे।

कुछ सादगी से सराबोर,

कुछ आलोकित करने वाले प्यारे।।

- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)



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