छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करके
इस जिन्दगी को यूँ ही व्यर्थ ना गवाएं,
अपनों से नाराजगी व्यर्थ ना बढ़ाएं,
रूठा है कोई आपसे तो उसे तुरन्त मनाएं,
समय निकल जाने पर व्यर्थ है पछताना
क्योंकि
रिश्तों के दरमियां जब दूरी जगह बनाने लग जाए
तो मुश्किल होता है ऐसे रिश्ते लंबे समय टिक पाएं,
लंबी तो यह जिन्दगी भी नहीं है
फिर क्यों इस जिंदगी को नफरत की भेंट दी जाए,
क्यों ना इसे प्रेम और सद्भाव का तोहफा दिया जाए
जिससे इसमें रंगों की छटा बिखर जाए।
रिश्तों को सींचकर अपनेपन की फौहार से
उनमें विश्वास और उम्मीद की नई किरण जगाई जाए,
फिर ना रहे द्वेष कोई
ना रहे अपमान की भावना
आओ मिलकर जगाएं यही सद्भावना ताकि,
प्रेम का बीज अंकुरित करकर
प्रेम को ही फलस्वरूप हम पाएं।
- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)
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