भारत में धार्मिक हिंसा

एक कविता के माध्यम से भारत में धर्म के नाम पर हो रही हिंसा को दिखाने का प्रयास।

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Shilpi Goel
Shilpi Goel 20 Dec, 2020 | 1 min read

विभिन्नता है जीवन का एक अभिन्न अंग

इसे ही अपनाने का दावा करते हैं हम।

सोच और व्यवहारिक तौर की विभिन्नता

भिन्न है सांस्कृतिक विभिन्नता से हर कदम।

भिन्न संस्कृतियां विभिन्नताओं की पहचान है

इन्हीं से ऊँची हमारे देश की शान है।

भारत हमारा विभिन्नताओं और विशिष्टताओं का है देश

संप्रदाय और धर्म के नाम पर इसमें रेखाएं मत खींच।

अलग-अलग धर्मों के नाम पर ईश्वर को मत बाँटना

सब धर्मों का एक ही मकसद परमपूज्य परमात्मा।

प्रजातंत्र कहकर देश को चलाते हैं इसके ठेकेदार

बाँटते हैं लोगों को एकता की किसको दरकार।

जातिवाद का भेद मिटाकर साथ हमें है चलना

यही तो बाबा साहेब अम्बेडकर का है कहना ।

क्यों उनके बनाए संविधान को मिटाने पर तुला है इंसान

त्यौहारों को मिलकर मनाना इंसानियत की है पहचान।

चाहते हो देश में एकता का परचम लहराना

तो बन्द करो देश का विभाजन करवाना।

कोरोना के नाम पर दूरियाँ क्यों फैलाना

दूरियों का तो मन में पहले से है तहखाना।

देना चाहते हो बच्चों को अगर एक स्वस्थ सोच का समाज

तो पूरा करना होगा इस कथन को निर्भय होकर आज-

"मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्तां हमारा।"

- शिल्पी गोयल

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