विभिन्नता है जीवन का एक अभिन्न अंग
इसे ही अपनाने का दावा करते हैं हम।
सोच और व्यवहारिक तौर की विभिन्नता
भिन्न है सांस्कृतिक विभिन्नता से हर कदम।
भिन्न संस्कृतियां विभिन्नताओं की पहचान है
इन्हीं से ऊँची हमारे देश की शान है।
भारत हमारा विभिन्नताओं और विशिष्टताओं का है देश
संप्रदाय और धर्म के नाम पर इसमें रेखाएं मत खींच।
अलग-अलग धर्मों के नाम पर ईश्वर को मत बाँटना
सब धर्मों का एक ही मकसद परमपूज्य परमात्मा।
प्रजातंत्र कहकर देश को चलाते हैं इसके ठेकेदार
बाँटते हैं लोगों को एकता की किसको दरकार।
जातिवाद का भेद मिटाकर साथ हमें है चलना
यही तो बाबा साहेब अम्बेडकर का है कहना ।
क्यों उनके बनाए संविधान को मिटाने पर तुला है इंसान
त्यौहारों को मिलकर मनाना इंसानियत की है पहचान।
चाहते हो देश में एकता का परचम लहराना
तो बन्द करो देश का विभाजन करवाना।
कोरोना के नाम पर दूरियाँ क्यों फैलाना
दूरियों का तो मन में पहले से है तहखाना।
देना चाहते हो बच्चों को अगर एक स्वस्थ सोच का समाज
तो पूरा करना होगा इस कथन को निर्भय होकर आज-
"मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना
हिन्दी हैं हम वतन हैं, हिन्दोस्तां हमारा।"
- शिल्पी गोयल
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
Well written
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