मैं कौन हूँ?
जानने के लिए झाँकना होगा
मेरी ही गहराई में मुझको
फिर भी समझा ना पाऊँगी मैं तुमको
बस इतना काफी है तुम्हारे लिए जानना
कि,
एक स्त्री हूँ मैं
और स्त्री होने पर गर्व है मुझको
ना मैं दुर्गा, ना काली, ना चंडीका
ना ही अवतार हूँ आदिशक्ति का
एक साधारण इंसान हूँ मैं
जन्म दिया है जिसको ईश्वर ने
इसलिए हक है मुझको भी जीने का
जैसी भी हूँ,
मुझको पसंद हूँ मैं
बिल्कुल उस तरह
जिस तरह
वायु को पसंद है बहना
होकर निर्भय
जिस तरह पसंद है
नदी को सिमट जाना
सागर में होकर बेझिझक
मुझको पसंद हूँ मैं
होकर बेफिक्र
नहीं पड़ता फर्क
कोई कहता रहे चाहे कुछ भी
कोई कहे अहंकारी मुझे
किसी की आँख की किरकिरी हूँ मैं
लेकिन मैं जानती हूँ
स्वाभिमान और अहंकार की सीमा रेखा
जिन लोगों को मेरा स्वाभिमान
मेरा अहंकार नजर आता है
उनसे भी यही कहूँगी
मुझको पसंद हूँ मैं
जैसी हूँ वैसी ही
हाँ, थोड़ी सी जिद्दी हूँ मैं
नहीं झुकना पसंद बेवजह मुझको
नहीं पसंद किसी की चापलूसी करना
मुझको पसंद है
बस अपने ही दिल की करना
मुझको पसंद हूँ मैं
क्या कहूँ क्यों?
बस बेवजह ही अपना खिलखिलाना खुश कर जाता है
चेहरा जो देखूँ आइने में
बड़ा खूबसूरत नजर आता है
मुझको पसंद हूँ मैं
जब-जब बेतरतीब से बालों को बांधती हूँ
मुझको पसंद हूँ मैं
बालकनी में खड़ी हो
जब सूर्य की पहली किरण निहारती हूँ
मुझको पसंद है मेरा
कभी-कभी बिना इस्त्री किए कपड़े पहनना
मुझको भा जाता है
बेबात बच्चों की तरह उछल-कूद कर जाना
मुझको पसंद है मेरा औरत हो पाना
नये जीवन को जन्म देने का हौसला मिल पाना
हर जन्म में चाहती हूँ इसी रूप को अपनाना
मुझको पसंद हूँ मैं
क्योंकि पुरुषत्व का दंभ नहीं मुझमें
ना किसी को नीचा दिखाने की चाह है मेरी
मुझको पसंद है माँ
तेरी बेटी कहलाना
हर जन्म में तेरी कोख से पैदा हूँ
बस इतनी सी चाह है मेरी
मुझको पसंद हूँ मैं
जैसी हूँ अपने आप में पूरी हूँ मैं
लेकिन सुनो ना माँ
तेरे बिन बहुत ज्यादा अधूरी हूँ मैं
जब-जब देखूँ आइने में खुद को
मुझे तेरा ही अक्स नजर आता है
तभी तो अपना सादा रूप-रंग भी मुझको
माँ इतना ज्यादा भा जाता है
यह स्वाभिमान भी मुझको
तुझसे ही तो मिला है
तुझ सी बनना चाहती हूँ
नहीं इसका कोई भी मुझको गिला है
पाकर तेरी कोख से जन्म
ऐसा लगता जैसे साक्षात ईश्वर ने मुझको जन्म दिया है
बस इसीलिए मुझको पसंद हूँ मैं
क्योंकि स्वयं को पसंद करने का हक मुझे
ईश्वर ने ही तो दिया है।
मुझे नहीं दरकार
किसी को देने की जवाब
कि मैं कौन हूँ?
जो भी हूँ,
हूँ मैं बड़ी लाजवाब।।
✍शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)
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