जिनसे की थी कभी बेहिसाब मोहब्बत
सोचा ना था
यूँ अनजान हो जाएगी
वो नजर हमसे
जिस दिल में बसते थे वो हमेशा
रह जाएगा
वो वीरान कुछ ऐसे
हम तो आज भी दीवाने हैं उनके
चाहें दूर हो जाएँ
वो कितने भी हमसे
हमने कभी
चाहा ना था
रह जाएँ कुछ
अधूरे किस्से
मजबूर थे हम
इस कदर
सिवा उनकी खैरियत
माँग ना सके कुछ और
अपने रब से
हमने तो बस एक
नजर भर देखा उनको
और वो चल दिए
दूर बहुत दूर हमसे
रहें वो कहीं भी
चाहे इस जहाँ में
चाहते हैं हम बस इतना
कभी ना हों
वो गुमसुम से
रब दे दे हमारे हिस्से की
खुशियाँ भी उनको
रोशन हो उनकी दुनिया
हर तरफ से
बस यही सब दुआ
हमारी अगर कुबुल हो जाए
तो हम भी हो जाएँ
फिर कुछ बेफिक्र से
- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)
Comments
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बहुत बढिया
शुक्रिया सोनू जी।
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