एक दिन धरा ज़ोर से चिल्लाने लगी और बोली, छोड़ो मुझे, बंद करो मुझको यूँ कष्ट पहुँचाना, मेरे प्यार का गलत फायदा उठाना, हाथ जोड़ती हूँ तुम्हारे सामने इस तरह मेरे सम्मान को हानि मत पहुँचाओ। मैंने सबकुछ तो दिया है तुम्हें, किस बात की कमी है तुमको जो तुम मुझसे ऐसा व्यवहार कर रहे हो।
मानव हँसा और बोला, देखो मैं जीत गया, मैंने आखिरकार तुम्हारे ऊपर विजय प्राप्त कर ही ली। मुझे उतने में संतुष्टि नहीं है जितना तुमने मुझे दिया है मुझे और चाहिए। मैं तुम्हें तब तक लूटता रहूँगा जब तक तुमसे मुझे ज्यादा से ज्यादा फायदा नहीं हो जाता।
धरा गुस्से में चीख़ते हुए बोली, "मूर्ख मानव, हँस ले तुझे जितना हँसना है, आज तो तुम हँस रहे हो लेकिन कल तुम्हारे ही बच्चे रोएंगे, अपने जीवन की भीख मांगेंगे।"
इसलिए रक्षा कर अपनी, अपने वातावरण की, जब साँस लेने के लिए शुद्ध हवा ही ना होगी तो क्या करेगा इतनी सुविधाओं का, इसलिए बचा सकता है तो बचा अपने प्राकृतिक संसाधनों को, ज्यादा से ज्यादा ऑकसीजन का खजाना दे अपने इस वातावरण को जिसमें तू आज खुल कर साँस ले पाए और कल तेरी आने वाली पीढ़ी।
सुन ध्यान से मैं बताती हूँ तुझे क्या करना चाहिए मुझे ही नहीं अपितु खुद को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध करवाने के लिए-
१. सबसे प्रथम ऊर्जा और जल का बचाव करना सीखो। दोंनो को ज्यादा से ज्यादा व्यर्थ होने से बचाओ क्योंकि इनका इस्तेमाल करकर हम ऑक्सीजन बढ़ा सकते हैं। जब जल की आवश्यकता ना हो तो नल बंद करकर बेवजह व्यर्थ हो रहे जल का सदुपयोग करना सीखो।
२. अंग्रेजी के अक्षर 'R' का अनुसरण करना सीख, सीखो Reduce/Reuse/Recycle का पालन करना।
३. जितनी जरूरत हो उतनी ही बिजली इस्तेमाल करो, जब भी कहीं जाओ तो सारे उपकरण बंद कर कर जाओ।
४. प्लास्टिक का उपयोग कम से कम करो क्योंकि प्लास्टिक के ज्यादा इस्तेमाल से ऐसा कचरा बढ़ता है जो काफी सालों तक भी खत्म नहीं होता और हमारे ऑक्सीजन के स्तर को कम करता जाता है।
५. कूड़ा हमेशा कूड़ेदान में डालें, इधर-उधर ना डालें, एक साफ और हरा-भरा वातावरण तैयार करो।
६. पेड़-पौधे काटना बंद करो। संकल्प लो कि हर साल अपने जन्मदिवस पर एक नया पौधा लगाओगे।
७. मोटर गाड़ियों का उपयोग कम करो, आस पास जाने के लिए साइकिल को प्रयोग में लाओ, इससे तुम्हारी सेहत भी ठीक रहेगी और वातावरण में ऑक्सीजन का स्तर भी बढ़ेगा।
८. एयर कंडीशनर, इनवर्टर आजकल घर-घर में इस्तेमाल किए जाते हैं, लेकिन इनसे निकलने वाली गैस बहुत हानिकारक होती है जो ना केवल ऑक्सीजन के स्तर को कम करती है अपितु ना जाने कितनी बीमारियों को निमंत्रण देती हैं, इनका इस्तेमाल कम से कम किया जाना चाहिए। आप ज्यादा गर्मी के दिनों में पानी वाले कूलरों का इस्तेमाल कर सकते हैं।
९. ठंडा पानी पीने के लिए रेफ्रिजरेटर की जगह मिट्टी से बने मटकों का इस्तेमाल शुरू करो।
१०. मोबाइल फोन से निकलने वाली रेडिएशन भी ऑक्सीजन स्तर को हानि पहुँचाती है, लेकिन यह आज की जरूरत बनते जा रहे हैं, जरूरी है इनके उपयोग पर भी लगाम कसना।
अपनी धरा से प्यार करना सीखो, यह तुम्हारी अपनी धरा है और आज इसे तुम्हारी मदद की सख्त जरूरत है। भूल गए वो दिन जब सड़कों पर बैलगाड़ी दौड़ती थी तो हवा भी कितनी स्वच्छ और शुद्ध होती थी। रातों को छत पर स्वच्छ हवा में सोते थे, मटकी का ठंडा पानी पीते थे। कितना सुकून भरा जीवन व्यतीत करते थे।
इसलिए पेड़-पौधे लगाने के साथ-साथ, बिजली के उपकरणों का उपयोग भी कम करके अपना रहन-सहन का ढ़ंग बदलो, हर काम के लिए मशीनों पर निर्भर रहोगे जैसे कपड़े धोने के लिए आटोमैटिक मशीन, ठंडे पानी के लिए फ्रिज इत्यादि तो एक दिन साँस लेने के लिए भी मशीन की ही जरूरत पड़ेगी यह ना सोचा था क्या तुमने कभी बोलो, अब भी वक्त है सुधार लो अपनी भूल को वर्ना जीवित रहना भी एक सपना मात्र ही रह जाएगा।
तुम्हारी आज की परिस्थिति देखकर मुझे तुम पर बहुत तरस आ रहा है मानव और कुछ पंक्तियाँ याद आ रही हैं-
आज के युग में ले रहा जन्म पाप ही पाप है,
इंसान खत्म हो रहा धीरे-धीरे अपने आप है।
इंसान स्वयं दे रहा धरा को ऐसा अभिशाप है,
स्वर्ग है धरा फिर भी यहाँ नर्क का एहसास है।
चारों तरफ इंसान के मौत का दरवाज़ा खुला है,
कदम-कदम पर चीखे हैं, जख्म अभी ताजा है।
करहा रहा है इंसान और दर्द में अपने ही लोग हैं,
फिर भी कर रहे एक दूजे से जानवरों सा बर्ताव है।
इंसान से अच्छे जानवर हैं जिनकी आँखों में आँसू हैं,
सोचने पर मजबूर है धरा क्या तुम सच में इंसान हो।
अपनी संकल्प शक्ति को मजबूत बना कर हे मानव! तुम क्या कुछ नहीं कर सकते। इसलिए इस धरा को ऑक्सीजन से लबालब करने के लिए बस तुम्हें अपनी संकल्प शक्ति को मजबूत बनाना है कि,अपने जीवन में कुछ छोटे-छोटे बदलाव लाकर और आज अपनी कुछ सुविधाएं त्याग कर तुम आने वाले कल के लिए सब कुछ संभव कर सकते हो, वर्ना वो दिन दूर नहीं जब जल की बोतल के साथ-साथ तुम ऑक्सीजन का बक्सा भी अपनी पीठ पर लाद कर घूमोगे।
धन्यवाद।
- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
संदेशपरक
शुक्रिया भाई।
bahut badiya
शुक्रिया बबीता जी
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