प्रेम

प्रेम खुदा की बख्शी इनायत है।

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Shilpi Goel
Shilpi Goel 14 Feb, 2021 | 1 min read
1000poems love hindi poetry

प्रेम क्या है

एक विश्वास है

एक आस है

दो दिलों का मेल है कहीं

कहीं परिवार का साथ है


एक अनकहा एहसास है

दिलों को जोड़ती डोर है

बंधन से मुक्त करता है कहीं

कहीं रिश्तों को बांधने का प्रयास है


महसूस करकर देखो इसे

एक खूबसूरत नगमा है प्रेम

अपनेपन की दुआ है कहीं

कहीं पराई पीर है


एक अजनबी से उम्र भर का साथ है

नए परिवेश में ढलता आत्मविश्वास है

मानो तो सबकुछ है प्रेम

ना मानो तो धुंधला आकाश है


प्रेम बसा है वाणी में

संगीत का साथ है

मूक प्राणी भी समझते

इस दिल के जज़्बात हैं


प्रेम बसा है रोम रोम में

मीरा का विश्वास है

राधा की आराधना है कहीं

कहीं रुक्मणी का साथ है

- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)




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