कनिष्ठ उम्र में ब्याह करना,
जैसे पिंजरे में कैद करना।
प्रथम मुझे मेरे पैरों पर खड़ा होने दो,
जीवन में विद्या तो हासिल करने दो।
प्रथम मैं खुद पूर्ण हो जाऊँ
तभी तो ब्याही जाऊँगी,
उड़ान भर पाऊँ सही दिशा में
तभी तो खुशियाँ ला पाऊँगी।
बाँध दी गई जो विवाह के बंधन में अभी
जीवन में बहार ना आएगी फिर कभी।
विनती आपसे बाबा टाल दो यह शादी
रोक दो मेरी यूँ होने वाली बर्बादी।
बिना सोचे 'क्यों ' और 'कैसे'
दे दो मुझे नया जीवन ऐसे।
- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)
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