रिश्ते

हिन्दी कविता

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Shilpi Goel
Shilpi Goel 18 Jan, 2021 | 1 min read

आने वाले हर साल में

नाराजगी की धुंध हटाकर

रिश्तों की गर्माहट महसूस कीजिए।


प्यार की बर्फीली चादर ओढ़कर

रिश्तों को जोड़े रखने का प्रयास कीजिए।


कुछ लिहाफ आप ओढ़ा दीजिए

गलतियों की रजाई को,

कुछ भूल हम सुखा देंगे

सर्दियों की कड़कड़ाती धूप में।


और करेंगे एक शुरुआत नयी

गर्मागर्म कॉफी के कप के साथ,

जिसे साथ मिलकर बनाएंगे हम

प्यार के सुनहरे पलों के साथ।


थोड़ा दूध आप डाल दीजिए

थोड़ी शक्कर हम मिला दें,

थोड़ा आप मुस्कुरा दीजिए

थोड़ी हँसी हम बिखरा दें।


चलता रहे ये जीवन बस यूँ ही

आने वाले हर एक साल के साथ।

- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)

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