तेरे चेहरे के सिवा नजर कोई चेहरा आता नहीं,
मेरी यादों पर तेरा पहरा,कोई मुझको अब भाता नहीं।
जब से होश सम्भाला मैंने,
तुझसे जुदा खुद को पाया नहीं।
दीवानी हूँ तेरी इस कदर,
याद कुछ तेरे सिवा रहता नहीं।
हर संगीत का रस फीका लगता,
तेरी बंसी की धुन का रस कहीं आता नहीं।
तेरे भजनों से सजती हर शाम मेरी,
तेरे नाम बिना होता मेरा समां सुहाना नहीं।
जलता रहे चाहे सारा जमाना कान्हा,
किया जो वादा तूने वो तोड़ना नहीं।
अरदास करूँ, पुकारूँ तुझको मेरे कान्हा,
मुझसे तू अब मुँह मोड़ना नहीं।
- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)
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Really, Heart touching
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