मुझे भाती हैं गर्मी की छुट्टी
हो जाती है स्कूल से कुट्टी;
नानी के घर रहने को जाता
आम और लीची मन भर खाता;
नानी माँ मेरी सबसे प्यारी
सुनाती कहानियाँ बहुत सारी;
नित नये मूल्यवान पाठ पढ़ाती
जिंदगी के कई रंग समझाती;
उनके जैसा दूसरा ना कोई
भर देती जीवन मेें रोशनी नयी;
नाना जी मेरे सबसे अच्छे
मेरे संग वो बन जाते बच्चे;
रोज मुझे घुमाकर लाते
नए-नए तोहफे दिलवाते;
मेरी मौसी का क्या कहना
लाखों में मेरी माँ की बहना;
मेरे सब राज वो छुपाती
सबकी डांट से मुझे बचाती;
मामा मेरे कसरत करवाते
पूरा सब होमवर्क करवाते;
पढ़ाई की कीमत समझाते
इंसानियत का पाठ पढ़ाते;
इसी तरह बीत जाती सारी
गर्मी की यह छुट्टियाँ निराली।
- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
No comments yet.
Be the first to express what you feel 🥰.
Please Login or Create a free account to comment.