निवेश का महत्व

'जार' ने कुछ यूँ बचपन के गुल्लक की याद ताजा करवाई,, भूल चुके थे जिन्हें उन छोटे-छोटे पैसों की अहमियत समझाई।।

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Shilpi Goel
Shilpi Goel 17 Nov, 2021 | 1 min read
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आओ सुनाऊँ आज एक किस्सा सबको वर्षों पुराना

जिससे सरल हो जाएगा निवेश का महत्व समझाना

छोटू करता था दादा जी से रोज मनुहार

मुझको भी दे दो पाँच रुपये हर रविवार

दादा जी ने पूछा,

क्या करोगे पैसे लेकर जरा मुझको बतलाना

कहीं किसी गलत आदत में बेटा मत पड़ जाना

दादा जी,

पैसे लेकर मैं भी दीदी संग जाऊँगा बाज़ार

वहाँ से लाऊँगा अपनी पसंद का उपहार

तीन रुपये की गुल्लक आई

दो रुपये की उसमें बचत समाई

हर रविवार छोटू पाँच रुपये ले जाता था

कुछ खर्च करता कुछ बचा ले आता था

धीरे-धीरे बहुत से पैसे जमा हो गए छोटू के पास

अब ला पाएगा दादा जी के जन्मदिन पर कुछ खास

उफ्फ, यह कैसी मुश्किल की घड़ी है आई

जन्मदिन से पहले भाई-दूज की सौगात ले आई

सोच में पड़ गया अब तो छोटू बेचारा

गुल्लक तोड़ने के सिवा ना था कोई चारा

पापा ने उसकी मुश्किल पल में सुलझा दी

गुल्लक तोड़े बिना पैसे निकालने की राह दिखा दी

अब तो छोटू जब मन चाहे गुल्लक में पैसे डालता

जरूरत पड़ जाने पर आसानी से उन्हे निकालता

कुछ पैसों से दीदी के लिए उपहार खरीदने के उपरांत

और पैसों के लिए छोटू कहाँ बैठने वाला था अब शांत

फिर से जन्मदिन के उपहार के लिए करने लगा वो तैयारी

कुछ रुपयों की बचत से उनके लिए लाया एक ऐनक प्यारी

तो दोस्तों, अब तो आपको भी यह समझ में आया

छोटू ने कितने सरल तरीके से निवेश का महत्व समझाया

कुछ-कुछ छोटू के गुल्लक की तरह ही हमारा 'जार' है

गुल्लक के विपरीत चोरी होने के खतरे से भी बाहर है

जब कभी 492 रुपये का करते हो तुम खर्चा

क्या कभी करते हो बाकि के 8 रुपये पर चर्चा

कहते हो फलाना वस्तु 500 रुपये का मंगवाया है

उन 8 रुपयों को तो तुमने चिल्लर समझ उड़ाया है

आजकल की कम्पनियाँ भी करती देखो कैसा कमाल हैं

हर वस्तु का मूल्य रखती कुछ इस प्रकार हैं-

99, 199, 299, 399..............

'जार' आपके उस एक रुपये को मान दिलवाएगा

अब कभी भी यह एक रुपया बर्बाद नहीं जाएगा

आपके हर पैसे को सोने सा कीमती 'जार' बनाएगा

क्योंकि 'जार' तो डिजिटल सोना उपलब्ध करवाएगा

ना चेन खींच कर ले जाने का डर

ना घर से चोरी हो जाने का डर

ना लाॅकर टूट जाने की कोई फिक्र

ना चार लोगों के बीच होगा जिक्र

हर खर्चे को कुछ इस प्रकार निवेश में तब्दील करता है

'जार' वस्तु की खरीददारी का मज़ा दुगुना कर देता है

बचपन के प्यारे गुल्लक अनुरूप कभी भी 'जार' का इस्तेमाल करना

परंतु गुल्लक के विपरीत कहीं लेकर जाने का ना कोई इंतजार करना

क्योंकि 'जार' ने इस मुसीबत का भी क्या खूब हल निकाला है

डिजिटाइजेशन के ज़माने में जो स्वयं को स्थापित कर डाला है

आओ आज ही हम सब मिलकर 'जार एप्प' को अपनाएँ

अपनी बचत ही नहीं खर्चे को भी सोने सा कीमती बनाएँ

✍शिल्पी गोयल(स्वरचित एवं मौलिक)









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