अधूरापन,, पूर्णता में बदल गया......

तुम किसी वसंत ऋतु से मनमोहक,, हम ग्रीष्म ऋतु की दोपहरी सी वेदना थे सनम.... पाकर तुम्हें प्यास मिटी कुछ ऐसे,, जैसे अंबर से बरसी हो कोई नवचेतना सनम........

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Shilpi Goel
Shilpi Goel 07 Feb, 2022 | 1 min read
Memories Life love hindi poetry completeness

सदियों से मेरे ह्रदय में सजी 

बावरी सी कल्पना हो तुम,

माँगी थी रब से मैंने जो कभी

पूर्णता को प्राप्त हुई,,

तू मेरी ऐसी प्रार्थना बन गया ।


तेरे आने से जीवन का मौसम 

कुछ इस तरह बदल गया,

मिट्टी का मकां 

सपनों के घरौंदे में तब्दील हो गया।


थामा जो हाथों में हाथ 

उम्र भर साथ निभाने को,

मेरा इस नश्वर जीवन से 

मोह कुछ और बढ़ गया।


बांधे हैं धागे प्रीत के 

ख़्वाबों में तुम संग मैंने, 

तिमिरण से जो जगा दे 

तू ऐसी चेतना बन गया।


खुशियाँ ही नहीं 

मेरे गम भी खुद में समेटे हैं तुमने,

ना जाने कब एक अजनबी-सा इंसान 

मेरा अपना बन गया। 


नाचे मयूर मन मेरा 

इक झलक पर तुम्हारी, 

ओझल होती पिपासा की 

तू तमन्ना बन गया।


कुछ अपना ही अक्स 

नजर आने लगा है तुझमें यूँ,

कि तेरे साथ से जीवन में 

सबकुछ हासिल हो गया।


तेरे होने से व्यक्तित्व में मेरे 

ऐसा निखार है आया,

मुश्किलों के दौर में मेरा हौसला 

और बढ़ गया।


निश्छल निर्झर समान 

है प्रवृति तुम्हारी,

अमृत की बूंदे बरसाती 

तू मेघना बन गया।


तुम ना आते जीवन मेें तो 

अधूरे ही रह जाते हम,

तेरे आने से यह अधूरापन 

पूर्णता में बदल गया।

✍शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)





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