प्रेम के रंग हजार

प्रेम विश्वास है, प्रेम प्रकाश है।

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Shilpi Goel
Shilpi Goel 19 Feb, 2021 | 1 min read
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प्रेम के रंग हैं हजार

हर रंग में छिपी है बहार

मीरा की भक्ति मेें है प्रेम 

सति की शक्ति में है प्रेम 

राधा के इंतजार में है प्रेम 

कान्हा के दीदार में है प्रेम 

प्रेम छिपा है सूर्य के प्रकाश में 

प्रेम छिपा है रात के विश्वास में 

हर अंधेरे का उजाला है प्रेम 

हर जीत का विश्वास है प्रेम 

माँ के दुलार में है प्रेम 

पापा की फटकार में है प्रेम 

मौसम के हर रंग में है प्रेम 

बादल की घटाओं में है प्रेम 

पतझड़ की हवाओं में है प्रेम 

फिजा में मिठास घोले है प्रेम

पवित्रता से ओत-प्रोत है प्रेम

प्रेम के रंग हैं हजार

हर रंग में छिपी है बहार

- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)

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