कभी अध्यापक हैं किताबें
कभी प्रचारक बन जाती हैं।
कभी अगुआ बन किताबें
हमसे अनुसरण करवाती हैं।
होती हैं पथप्रदर्शक किताबें
अज्ञानता का अंधेरा मिटाती हैं।
प्रदान करती ज्ञान-प्रबोधन किताबें
हमारा प्रेरणा स्रोत बन जाती हैं।
मधुर वचन सहेजे हैं किताबें
ज्ञानदीपिका बन जाती हैं।
निर्मलता से भरपूर किताबें
वाणी में निर्मलता लाती हैं।
नर को बना सकती नरेश किताबें
आत्मज्ञान का महत्व समझाती हैं।
जीवन दर्शन सम्भव किताबों से
जाने कितने कष्ट मिटाती हैं।
बच्चों को होता जो सिखाना मुश्किल
उसको कितना सरल बनाती हैं।
टूट जाए जो आस किसी की
उस आस को फिर बंधाती हैं।
देकर प्रश्नों का उत्तर किताबें
उलझनों को सुलझाती हैं।
कितनी उजली होती हैं किताबें
असमानता का भेद मिटाती हैं।
साहसी बनने को प्रेरित करती किताबें
जीवन का सही चाल-चलन सिखाती हैं।
सबसे अच्छी मित्र होती हैं किताबें
हर मुश्किल घड़ी में साथ निभाती हैं।
हमारा कर्तव्य पढ़-पढ़ कर किताबें
किताबों का पाठक कहलवाना है,
रखना प्रेम और सम्भाल से इनको
विश्व में सदा सम्मान दिलवाना है।
- शिल्पी गोयल (स्वरचित एवं मौलिक)
Comments
Appreciate the author by telling what you feel about the post 💓
किताब की महिमा का गुणगान करती उम्दा कविता
शुक्रिया भाई।
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