वक्त

हम समय को कभी नहीं पकड़ सकते।

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Shilpi Goel
Shilpi Goel 04 Feb, 2021 | 1 min read
short poem 1000poems hindi poetry

जिन्दगी का अहम हिस्सा है बदलाव,

ना सुलझने वाला किस्सा है बदलाव,

बदल गए हम-

बदल गए तुम,

अरे!देखो बदल गए कितने मौसम,

दोपहर को सांझ-

सांझ को रात होते देखा,

रात का पैगाम सुबह को देते देखा,

हाँ मैंने हर मंजर को बदलते देखा;

एक छोटे बालक को प्रौढ़ होते देखा,

एक छोटे से बीज को पेड़ होते देखा,

देखा है हरे-भरे खेत को भी-

फिर उसे बंजर होते देखा;

मेरा क्या मैं तो वक्त हूँ,

एक जगह कभी ना ठहरा-

मैं हर पल बदलता हूँ,

पर स्वंय से भी तेज़-

मैंने लोगों को बदलते देखा।

- शिल्पी गोयल(स्वरचित एवं मौलिक)

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