Shilpi Goel
21 Nov, 2022
मैं.......ज़िन्दगी
मैं मैं हूँ, तुम-सी नहीं हूँ।
थोड़ी सी खुशमिज़ाज हूँ थोड़ी सी उदास भी।
हूँ दूर कभी तो हूँ कभी पास भी।
मौजूद हूँ तुम्हारे भीतर कहीं,
कभी बिखरी हूँ आस-पास ही।
मैं मैं हूँ, तुम-सी नहीं हूँ।
खामोशियाँ पसन्द हैं मुझे,
अकेलेपन से मगर डर जाती हूँ।
कभी फैल जाती हूँ लबों पर मुस्कान बनकर,
तो तभी आँसुओं में भी नज़र आती हूँ।
थोड़ी सी नकचढ़ी हूँ मैं, हूँ थोड़ी सी जिद्दी भी।
समेट लो जितना मुझे उतनी ही बिखरती जाती हूँ।
बिताना आसान है मुझे,
मगर मैं जीना सीखना चाहती हूँ।
मैं ज़िन्दगी हूँ जनाब....
बस तुम में घुलना चाहती हूँ।
मैं मैं हूँ, तुम-सी नहीं हूँ।
Paperwiff
by shilpi goel
21 Nov, 2022
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