Shilpi Goel
Shilpi Goel 21 Jun, 2021
दस्तूर
जाने कैसा दस्तूर है इस जग का, अपना क्षोभ ही असल लगता, दूसरे का क्षोभ नजर नहीं आता। कितने अनकहे अल्फाज व्याकुल हैं आने को लबों पर, किंतु मन की गहराई मेेें उनको समाहित करना ही, इस जग को प्रमुदित कर पाता।

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by shilpi goel

21 Jun, 2021

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